उत्तराखंड

प्रजापति महासभा ने महापौर दीपक बाली तथा समाज के तीन निर्वाचित पार्षदों को किया सम्मानित

उत्तराखण्ड
4 मई 2025
प्रजापति महासभा ने महापौर दीपक बाली तथा समाज के तीन निर्वाचित पार्षदों को किया सम्मानित
काशीपुर। नगर कि धरती पर जब प्रजापति महासभा के मंच से सम्मान की गरिमा लहराई और महापौर दीपक बाली तथा समाज के तीन निर्वाचित पार्षदों को सम्मानित करने के लिए भव्य समारोह का आयोजन किया गया, तब उस ऐतिहासिक पल में कुछ ऐसा भी घटा जो केवल पुष्प और अभिनंदन तक सीमित नहीं रहा। इस मंच पर जब शिवांश गोल-जो वार्ड 19 के जनप्रतिनिधि हैं ने समाज की आवाज़ को मुखर करते हुए माइक संभाला, तो पूरा पंडाल उनकी मुखरता और समाज के प्रति समर्पण को सुन सन्न रह गया । प्रजापति सभा की जर्जर और उपेक्षित अवस्था पर जब उन्होंने हृदयस्पर्शी ढंग से चिंता जताई, तो यह आवाज़ केवल एक वार्ड की नहीं, बल्कि पूरे प्रजापति समाज के आत्मसम्मान की पुकार बन गई। उन्होंने खुलकर कहा कि जिस सभा भवन में समाज की चेतना पलती है, उसका इस कदर टूटा और जर्जर होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाना चाहिए।
भरे मंच और सम्मान की भीड़ में जब महापौर दीपक बाली ने यह पीड़ा अपने कानों में समेटी, तो उन्होंने बिल्कुल भी देर नहीं की। ना कोई समिति गठित करने का वादा, ना कोई फाइल घुमाने का बहाना बस सीधे मंच से समाज के सामने ऐलान कर दिया कि अक्टूबर के महीने से वार्ड 19 में स्थित प्रजापति सभा के पुनर्निर्माण और मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर आरंभ किया जाएगा। यह केवल एक वादा नहीं था, बल्कि एक ऐसा निर्णय था जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति के हृदय में गर्व का संचार कर दिया। मंच पर बैठे तमाम बुजुर्गों की आंखें चमक उठीं और युवाओं में जोश की लहर दौड़ गई।
शिवांश गोले द्वारा उठाया गया यह कदम केवल एक मरम्मत कार्य या भवन की मांग भर नहीं था, बल्कि यह समाज के आत्मसम्मान, अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा की दिशा में उठाया गया एक दूरदर्शी और सशक्त प्रयास था। यह पहल यह स्पष्ट करती है कि जब कोई जनप्रतिनिधि केवल कुर्सी की शोभा बढ़ाने वाला नहीं होता, बल्कि समाज की ज़मीन से जुड़ा होता है, तो उसके निर्णयों में संवेदनशीलता, सच्चाई और ईमानदारी झलकती है। शिवांश गोले ने यह प्रमाणित कर दिया कि वह महज एक औपचारिक पार्षद नहीं हैं, बल्कि समाज के लिए धड़कने वाला एक जीवंत हृदय हैं, जो हर पीड़ा को समझता है और समाधान तक पहुंचाने की ताकत भी रखता है। उनका यह दृष्टिकोण आज के प्रशासनिक ढांचे में एक प्रेरणास्पद उदाहरण बन गया है जिसे लंबे समय तक याद किया जाएगा।
महापौर श्री दीपक बाली जी द्वारा दी गई इस ठोस और समयबद्ध घोषणा ने वहां मौजूद समस्त प्रजापति समाज के दिलों में एक नई आशा का संचार कर दिया, मानो बरसों की चिंता और असुरक्षा एक झटके में छूमंतर हो गई हो। यह केवल एक दीवार बनाने की बात नहीं थी, बल्कि समाज की ज़मीन, अस्मिता और भावी पीढ़ियों के अधिकारों को सुरक्षित करने की गारंटी थी। इस आश्वासन से हर चेहरा खिल उठा, बुजुर्गों की आंखों में विश्वास झलका और युवाओं के मन में गर्व की लहर दौड़ गई। जैसे ही यह घोषणा समारोह में गूंजी, तालियों की गूंज ने माहौल को ऊर्जा और उत्साह से भर दिया, और वह क्षण एक उत्सव में बदल गया। यह निर्णय एक संदेश बनकर उभरा कि अब कोई भी शक्ति प्रजापति समाज की ज़मीन को हाथ लगाने का साहस नहीं कर पाएगी।
सभा में एक और ऐतिहासिक पल तब जुड़ गया जब मानपुर में स्थित प्रजापति समाज की एक अन्य जमीन पर एक नई प्रजापति सभा के निर्माण की बात सामने आई। यह महज कोई इमारत नहीं होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र, एक आत्मा का मंदिर और समाज की एकता का प्रतीक बनेगी। जब यह घोषणा की गई कि जल्द ही इस स्थल पर निर्माण कार्य प्रारंभ होगा, तो वहां मौजूद लोगों के दिलों में एक नई उम्मीद जागी । यह निर्माण एक ऐसी नींव रखेगा जहां समाज के सभी आयाम चाहे वो शिक्षा हो, कला हो या संस्कृति अपने चरम को प्राप्त करेंगे। यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि समाज अब केवल अपनी समस्याओं पर आंसू नहीं बहा रहा, बल्कि एकजुट होकर उन्हें हल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
यह अविस्मरणीय आयोजन केवल एक सामूहिक समारोह नहीं था, बल्कि यह उस क्षण का साक्षी बना जिसने प्रजापति समाज की आत्मा को नया आयाम, नई दिशा और नया विस्तार दिया। इस दिन की गूंज महज़ मंच तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह पूरे शहर की चेतना में समा गई, क्योंकि इस दिन केवल एक नई सभा का ऐलान नहीं हुआ, बल्कि समाज के आत्मसम्मान, एकता और भविष्य की नींव भी मजबूती से रख दी गई। यह क्षण उस जागृति का प्रतीक बन गया जब एक लंबे समय से उपेक्षित समाज ने फिर से अपने अधिकारों की पुनर्स्थापना की ओर कदम बढ़ाया। यह कार्यक्रम आने वाले वर्षों में प्रेरणा का स्रोत बनेगा, क्योंकि इस दिन समाज ने न सिर्फ एक नई इमारत का सपना देखा, बल्कि आत्मबल, संगठन शक्ति और नेतृत्व की परिभाषा को भी नए रूप में साकार किया ।

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