उत्तराखंड

निकाय चुनाव में डिजिटल प्रचार का सहारा हुआ दिलचस्प

उत्तराखण्ड
18 जनवरी 2025
निकाय चुनाव में डिजिटल प्रचार का सहारा हुआ दिलचस्प
काशीपुर। प्रदेश में निकाय चुनाव का डंका बज रहा है। गली-गली प्रत्याशी प्रचार कर रहे हैं. इलाकों में घूम रहे हैं, जनता से मिल रहे हैं और अपने को विजयी बनाने के लिए अपील भी कर रहे हैं। वैसे तो हर चुनाव बड़ा दिलचस्प होता है लेकिन इस बार के चुनाव और प्रचार के माध्यम रोचक नजर आ रहे हैं।

एक तरफ नगर निगम चुनावों के दौरान चुनाव प्रचार सामग्री बेचने वाले दुकानदारों की भी चांदी हो रही है, वहीं आधुनिकता के दौर में चुनाव सामग्रियों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। अब मोबाइल प्रिंटर और एप के जरिए चलने वाली मशीन भी इस बार चुनाव में देखने को मिल रही है। जिससे मतदाताओं की वोट करने वाली पर्ची हाथों-हाथ काटकर दी जा रही है.

चुनाव सामग्री बेचने वालों की चांदी- इन दिनों चुनाव प्रचार सामग्री बेचने वाली कई नई दुकानें खुल गई हैं। इन दुकानों पर झंडे, टोपी, बिल्ले, पटके जैसे कई चुनाव प्रचार के सामान बेचे जा रहे हैं। इसके अलावा लाउडस्पीकर और साउंड सिस्टम का कारोबार करने वाले दुकानदारों की कमाई में भी उछाल आया है। चुनाव के ऐलान के साथ ही ये दुकानदार सभी बड़ी पार्टियों के चुनाव प्रचार का सामान तैयार रखते हैं। नये – नये गानों को मिक्स कर प्रत्याशी के लिए डब कर रहे है। जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार सामग्री ऑर्डर पर तैयार की जाती है।

इसी के साथ लाउडस्पीकर और स्पीकर्स में भी चुनाव को देखते हुए लोगों का इंटरेस्ट देखने को मिल रहा है. इसमें ब्लूटूथ वाले स्पीकर जो कि मोबाइल से तो अटैच होते हैं, साथ में माइक भी मिलता है. इसकी भी खासी मांग देखने को मिल रही है। यह स्पीकर रोड शो हो या फिर कहीं पर बैठक करनी हो उसमें बहुत काम आता है।

आधुनिकता के दौर में चुनाव प्रचार में मोबाइल एप और मशीनों का सहारा लेने से चुनाव में कम समय तो लगता ही है, साथ ही काम भी बड़ी सरलता से हो जाता है. लोगों तक अपनी बात पहुंचाना हो या फिर उनकी वोटिंग लिस्ट उनके पास पहुंचानी हो, सभी इन मशीनों के सहारे फट से मतदाता तक पहुंच जाता है. इन दिनों चुनाव के दौरान कई टीमें हरिद्वार में आ रखी हैं, जो इस तरह की चुनाव प्रचार सामग्री बेच रही हैं, जिससे प्रत्याशियों को कम मेहनत करनी पड़ रही है

एक समय में जब चुनाव हुआ करता था, तो हमारे वर्कर खुद ही चूने से सड़कों और दीवारों पर लिखा करते थे। इसकी जगह अब मशीनों ने ले ली है। उन दिनों चुनाव के वक्त लोग दिन में ड्यूटी करते थे। रात को एकत्र होते थे और पर्चियां भरते थे। इसी के साथ चर्चाएं हुआ करती थी कि किस तरह का माहौल किस क्षेत्र में है। लेकिन अब आधुनिकता के दौर में इन सब की जगह बदल गई है और मशीनों ने उनकी जगह ले ली है. अब कंप्यूटर है, मशीन है। इससे काम तो सरल हो गया है, लेकिन लोगों का जो जुड़ाव चुनाव और प्रत्याशी से होता था वह कम हो गया है।

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