उत्तराखंड

सूर्य पर परचम – कल आदित्य एल-1 सूर्य के एल-1 पॉइंट में प्रवेश करेगा

 

उत्तराखण्ड
5 जनवरी 2024
सूर्य पर परचम – कल आदित्य एल-1 सूर्य के एल-1 पॉइंट में प्रवेश करेगा
दिल्ली। चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद भारत अब सूर्य पर भी अपना परचम फहराने को तैयार है। भारत का पहला सूर्य मिशन अब अपने लक्ष्य तक पहुंचने के अंतिम पड़ाव में है।

इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बड़ी जानकारी दी। बताया जा रहा कि आदित्य एल-1 छह जनवरी को सूर्य के एल-1 पॉइंट में प्रवेश कर जाएगा।

इस समय पर पहुंचेगा
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 ठीक से काम कर रहा है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। छह जनवरी की शाम चार बजे वह लैग्रेंज-1 बिंदु पर हैलो ऑर्बिट कक्षा में पहुंच जाएगा। बता दें कि एल-1 पॉइंट वह स्थान है, जहां पृथ्वी और सूर्य दोनों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन रहता है। यह बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर है, जो सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का मात्र एक फीसदी है।

दो सितंबर को लॉन्च हुआ था मिशन
गौरतलब है, इसरो ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से देश का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च किया था। लैग्रेंज प्वाइंट यानी स्। यह नाम गणित जोसेफी-लुई लैग्रेंज के नाम पर दिया गया है। इन्होंने ही इन लैग्रेंज प्वाइंट्स को खोजा था। मिशन का लक्ष्य पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है।

आइए जानते हैं सूर्य मिशन के बारे में-

1. छह जनवरी को 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान अवधि के बाद आदित्य-एल 1 ने पृथ्वी से 235Û19500 किमी दूर कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लेगा।

2. आदित्य-एल 1 का लक्ष्य पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल-1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है। बंगलूरू में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के निदेशक ने बताया कि आदित्य स्1, एल-1 बिंदु के चारों ओर एक ऐसे ऑर्बिट में पहुंचेगा, जहां जैसे-जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, एल-1 बिंदु भी घूमेगा। हेलो ऑर्बिट की संकल्पना भी ऐसी ही है। इस कक्षा में पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण है।

3. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने बताया, श्आदित्य एल-1 पहले ही एल-1 पॉइंट पर पहुंच चुका है और छह जनवरी को यह कक्षा में स्थापित कर देगा।

4. एल-1 पॉइंट वह स्थान है, जहां पृथ्वी और सूर्य दोनों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन रहता है। एल-1 बिंदु पर पहुंचने के बाद आदित्य एल-1 और सूर्य के बीच कोई परेशानी नहीं रहेगी। उपग्रह के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जब तक काम करेंगे, तब तक वह सूरज को देखता रहेगा और उसका अध्ययन करता रहेगा। आदित्य एल-1 करीब अगले पांच साल तक काम करता रहेगा।

5. आदित्य एल-1 सात वैज्ञानिक पेलोड से लैस है। सभी इसरो और राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं। ये पेलोड विशेष रूप से विद्युत चुंबकीय कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों का निरीक्षण करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *