सात वर्षो में बना महाराणा प्रताप रेल ओवर ब्रिज अब एक बार फिर चर्चा में
उत्तराखण्ड
22 मार्च 2025
सात वर्षो में बना महाराणा प्रताप रेल ओवर ब्रिज अब एक बार फिर चर्चा में
काशीपुर। नगर में सात वर्षो से चर्चा का विषय रहा महाराणा प्रताप रेल ओवर ब्रिज अब एक बार फिर चर्चा में आ गया है। आपको बता दे कि महाराणा प्रताप चौक पर बना रेल ओवर ब्रिज महज 1 साल के भीतर धंसने और झड़ने लगा है। कल रात्रि अचानक लगभग 10.30 बजे रेल ओवर ब्रिज के एक हिस्से से पत्थर के टुकड़े झड़ कर नीचे गिर गये। गनीमत यह रही कि उस समय उसकी चपेट में कोई नहीं आया वरना कोई दुर्घटना भी घट सकती थी। वहीं जिस एरिये से पत्थर के टुकड़े झड़े हैं उस एरिये के ऊपर सड़क के हिस्सा भी काफी धंस गया है। संभवतया इसी कारण नीचे से पत्थर झड़े हैं।
बता दें कि जब से रेल ओवर ब्रिज बनना शुरु हुआ तभी से इसमें कुछ न कुछ होता रहता है। बनते समय इसका अजीब डिजाईन की चर्चा जोरोशोरो से होती रही तो बनने के बाद से इसके कमजोर होने की चर्चायें भी चलती रहीं। जबकि एनएच ने लोड टेस्ट करने के बाद ही इस रेल ओवर ब्रिज को जनता के लिए खोला था। वहीं रामनगर रोड से इसका ढलान इतना तीखा है कि बड़े वाहनों के पीछे इस पर चढ़ने वाले वाहनों को डर बना रहता है कि कहीं बड़ा वाहन बैक न मार दें और वे उसकी चपेट में न आ जायें।
फिलहालमौके पर पहुंचे तहसीलदार पंकज चंदोला एवं कोतवाल अमर चंद शर्मा ने रेल ओवर ब्रिज के क्षतिग्रस्त ऊपर और नीचे के हिस्से बैरिकेटिंग करके बंद कर दिया है। रेल ओवर ब्रिज को बड़े वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है।
अब अगर यह ओवर ब्रिज बंद कर दिया गया तो क्षेत्र की जनता को 7 साल के लंबे इंतजार के बाद जो जाम से राहत मिली है वह खत्म हो जायेगी और आगामी गर्मियां जनता के लिए बुरी बीतेंगी। उधर चैती मेला भी आरम्भ होने वाला है । उस पर आये दिने रेलवे का कार्य होने के कारण चीमा चौराहे क्रासिंग को बंद कर दिया जाता है। रामनगर रोड पर बनने वाला रेल ओवर ब्रिज तो पता ही नहीं है कि वह कब तक तैयार होगा।
उधर, तहसीलदार पंकज चंदोला ने बताया कि मामले की जानकारी एनएच व अन्य उच्चाधिकारियोें को दे दी गई है। एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जा रहा है जो रेल ओवर ब्रिज की जांच करेगी