उत्तराखंड

रामनगर: कोर्ट परिसर में बिजली और पानी के बिल कम या माफ होने की अफवाह के चलते बना अफरा-तफरी का माहौल

उत्तराखण्ड
14 दिसम्बर 2025
रामनगर: कोर्ट परिसर में बिजली और पानी के बिल कम या माफ होने की अफवाह के चलते बना अफरा-तफरी का माहौल
रामनगर। कोर्ट परिसर में शनिवार को उस समय अफरा-तफरी का माहौल बन गया, जब बिजली और पानी के बिल कम या माफ होने की अफवाह के चलते सैकड़ों लोग राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंच गए. बाद में पता चला कि सोशल मीडिया और मौखिक चर्चाओं के जरिए गलत सूचना फैलाई गई थी. जिसके कारण आम जनता भ्रमित होकर कोर्ट पहुंची.

मामले में जानकारी देते हुए अधिवक्ता दीपक जोशी ने बताया आज रामनगर कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसका उद्देश्य बिजली-पानी के सामान्य बिलों को कम करना या माफ करना नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि लोक अदालत में मुख्य रूप से वाहनों के चालान, एक्साइज एक्ट से जुड़े मामले और कुछ समझौता योग्य केसों का निपटारा किया जाता है. बिजली विभाग से जुड़े मामलों में भी केवल बिजली चोरी, विभागीय मुकदमे या न्यायालय में लंबित मामलों पर ही विचार किया जाता है, न कि नियमित घरेलू बिलों पर.

अधिवक्ता दीपक जोशी ने बताया कि वर्तमान में अधिकांश ट्रैफिक चालान वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से किए जा रहे हैं. जगह-जगह लगे कैमरों से कटने वाले चालानों का निपटारा वर्चुअल कोर्ट नैनीताल में होता है, न कि रामनगर कोर्ट में, लेकिन जनता को इस प्रक्रिया की सही जानकारी न होने के कारण लोग रामनगर कोर्ट पहुंच रहे हैं. जिससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने रामनगर में भी वर्चुअल कोर्ट की एक शाखा की मांग की है.

अधिवक्ता अतुल अग्रवाल ने कहा 13 दिसंबर को पूरे देश में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है. रामनगर क्षेत्र में यह अफवाह फैल गई कि नियमित बिजली और पानी के बिलों में भी छूट मिलेगी. इसी भ्रम के चलते हजारों लोग कोर्ट पहुंच गए, जबकि रामनगर कोर्ट में ऐसे मामलों के निस्तारण के लिए न तो कोई प्रावधान है और न ही संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद हैं.
कोर्ट पहुंचे अमिर नामक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने सुना था कि लोक अदालत में बिजली-पानी के बिल कम हो रहे हैं. इसी उम्मीद में वह कोर्ट आये थे. यहां आकर पता चला कि केवल नोटिस वाले मामलों पर ही विचार किया जाता है.

टेंपो चालक मोहम्मद फरीद ने बताया कि उनके ऊपर कैमरे से ₹5000 का चालान हुआ था. जिसे वह लोक अदालत में निपटाने आए थे. बाद में जानकारी मिली कि यह चालान वर्चुअल कोर्ट नैनीताल में जमा होगा. कुल मिलाकर, गलत सूचना और जागरुकता की कमी के कारण रामनगर कोर्ट में भारी भीड़ जुटी, जिससे लोगों को निराश होकर लौटना पड़ा.

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