उत्तराखंड

मां मनसा देवी का मंदिर में लगा भक्तों का तांता

उत्तराखण्ड
30 मार्च 2025
मां मनसा देवी का मंदिर में लगा भक्तों का तांता
काशीपुर। धर्मनगरी काशीपुर में बीचों बीच मां मनसा देवी का मंदिर स्थित है, यू तो सभी ही मंदिरों का पौराणिक महत्व है. लेकिन मां मनसा देवी का महात्म्य अधिक है. मां मनसा देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ वैसे तो पूरे साल रहती है. नवरात्रि में यह भीड़ और ज्यादा बढ़ जाती है और चैैत्र नवरात्रि पर मनसा देवी मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं.

मां मनसा देवी की पौराणिक कथा- पौराणिक मान्यता के अनुसार मां मनसा का जन्म भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में हुआ. कुछ पुरातन ग्रंथ कहते हैं कि मनसा माता कश्यप ऋषि की पुत्री थी. मनसा माता को नागों के राजा नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है. मनसा का शाब्दिक अर्थ है मनोकामना होता है. जो भी श्रद्धालु सच्चे श्रद्धा भाव से मां मनसा की पूजा अर्चना करते हैं, मां उनकी सब मनोकामना पूर्ण करती हैं. जो भक्त मां के मंदिर मुराद लेकर आते हैं वो मंदिर में स्थित पेड़ में धागा बांधते हैं और इच्छा पूर्ण होने पर धागा खोलने भी आते हैं.

नवरात्रि में बढ़ जाती है श्रद्धालुओं की तादाद- मां मनसा नागराज की बहन है इसलिए वह भक्तों की कालसर्प दोष से भी रक्षा करती हैं. मंदिर में भगवती की दो मूर्तियां स्थापित हैं. एक मूर्ति की 10 भुजाएं एवं पांच मुख और दूसरी मूर्ति की अट्ठारह भुजाएं हैं. मां के दरबार में नवरात्र में मेला लगा रहता है. दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में जो स्वयंभू प्रतिमा है वह महिषासुर मर्दिनी के रूप में है.

मनसा देवी महिषासुर मर्दिनी- पौराणिक कथाओं के अनुसार जब महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार सभी लोकों में देवताओं को दुखी कर रहा था, तब सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरण में गए. महिषासुर के अत्याचार से बचाने के लिए प्रार्थना की. तीनों देव ने जब देवताओं की करुण पुकार को सुना तो तीनों के शरीर से एक प्रकाश पुंज अवतरित हुआ ऐसे ही सभी देवताओं के शरीर से तेज पुंज निकला और वह एक जगह पर समुच्चय हुआ. जिससे मां भक्ति दुर्गा का अवतार हुआ. मां ने महिषासुर का वध करके देवताओं की मनसा को पूर्ण किया तभी से आज तक मां दुर्गा का नाम मनसा रूप में भी विख्यात है.

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