उत्तराखंड

ऐतिहासिक चैती मेला इतिहास बनने की ओर बढ़ रहा

उत्तराखण्ड
23 अप्रैल 2024
ऐतिहासिक चैती मेला इतिहास बनने की ओर बढ़ रहा
काशीपुर। श्री चैती मेला इतिहास बनने की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि मेले का जब से सरकारीकरण हुआ है तब से मेले में मंहगाई अपने चर्म पर है। मेले में लोग सस्ता माल खरीदने के लिए आते है न कि वहीं सस्ता माल शहर के मॉल के रेटो पर। ठेकेदार मेले में टेण्डर के नाम पर ऊची बोली लगाकर टेन्डर लेते है और नतीजा हर वर्ष मंहगा होता मेले। अब तो चैती मेले गिनती की दुकाने रह गयी है।
कभी श्रद्धालुओं को पूरा मेला घूमने के लिए कई दिनों तक लगातार मेले में आना पड़ता था। जिससे मेले की रौनक खुब रही थी। मेले में अलग-अलग मार्केट का होना, खेल तमाशे, जगह – जगह प्याऊ, मेडिकल कैम्प लगते थे। परन्तु अब मेले में मेडिकल कैम्प के नाम पर एक शिविर, प्याऊ के नाम पर मात्र एक प्याऊ रह गयी है। ठेकेदारों के अपने मुनाफा कमाने के लिए टिकटों के रेट आसमान पर पहुंचा दिये है और हर आम आदमी की हैसियत से बाहर है। आज मेले में अधिकांश बाहर से आने वाले पुराने दुकानदार नदारद है। मेले में अधिकाश जगह खाली पड़ी है क्योकि ठेकेदार को दुकानदार मिल ही नहीं रहे। जिसका नतीजा मंहगी दुकाने करनी पड़ती हैै इसका खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है। दुकानदार को जो दुकान कभी बेहद मुफीद दामों में मिल जाती थीं, उसे लेना टेढ़ी खीर साबित हो गया है।
क्षेत्र में बुद्धिजीवी और आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि मेले के ठेकेदारों की मनमानी मेले का अस्तित्व खतरे में डाल रही है। मंहगे दामों ने मेले की रौनक लगभग खत्म ही कर दी है।
मेले लगने का इंतजार करने वाले श्रद्धालु अब मेले में केवल प्रसाद चढ़ाने के लिए ही आ रहे है। दुकानदार अपने लागत तक निकलने के लिए तरस रहे है। कई दुकानदारों का कहना है कि हमारे साथ के कई दुकानदार जो मेला लगने से उनके दादा, पिता के साथ आते थे। वह अब मेले चैती मेला आना ही नहीं चाहते। पहले कई ऐसे दुकानदार थे कि जो अगले साल लगने वाले मेले के लिए एडवासं दुकान की बुकिंग पहले से ही कर जाते थे परन्तु अब ऐसा नहीं है क्योकि मेले की रौनक अब बची ही नहीं है। मेले में बड़े पैमाने पर व्याप्त गंदगी मेले में चार चांद लगाती है। खुले में लघुशंका व शौच भी मेला प्रशासन को आईना दिखाता है। कुल मिलाकर सरकारीकरण के बाद ऐतिहासिक मेला इतिहास के पन्नों की ओर बढ़ रहा है।

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