उत्तराखंड

शरद पूर्णिमा – कल चार बजे के बाद बन्द हो जायेंगे सभी मन्दिर

उत्तराखण्ड
27 अक्टूबर 2023
शरद पूर्णिमा – कल चार बजे के बाद बन्द हो जायेंगे सभी मन्दिर
काशीपुर। शरद पूर्णिमा पर शनिवार को रात एक बजे से चंद्रग्रहण शुरू होगा। इससे पहले शाम चार बजकर पांच मिनट पर सूतक लग जाएगा। वहीं मंदिरों के कपाट तो दोपहर बाद चार बजे से ही बंद हो जाएंगे और रविवार की सुबह खुलेंगे। शरद पूर्णिमा पर जो खीर बनती है और रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन उसे एक प्रकार की औषधि और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, लेकिन इस बार ग्रहण की वजह से प्रमुख जगहों पर यह खीर नहीं बनेगी।

भगवान श्रीकृष्ण और राधा की अदभुत और दिव्य रासलीलाओं का आरम्भ भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ। पूर्णिमा की श्वेत उज्जवल चांदनी में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी नौ लाख गोपिकाओं के साथ स्वंय के ही नौ लाख अलग-अलग गोपों के रूप में आकर ब्रज में महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और वह अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस रात्रि में चन्द्रमा का ओज सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। उज्ज्वल चांदनी में सारा आसमान धुला नजर आता है, हर तरफ चन्द्रमा के दूधिया प्रकाश में प्रकृति नहा उठती है।

शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए निशीथ काल में पृथ्वी पर भ्रमण करती है और माता यह भी देखती है- कि कौन जाग रहा है? यानि अपने कर्त्तव्यों को लेकर कौन जागृत है? जो इस रात में जागकर मां लक्ष्मी की उपासना करते है मां लक्ष्मी की उन पर असीम कृपा होती है, प्रतिवर्ष किया जाने वाला यह व्रत लक्ष्मी जी को संतुष्ट करने वाला है।

शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे होगा-
इसी के साथ इस दिन शरद पूर्णिमा भी है। महिलाएं शरद पूर्णिमा का व्रत रखेंगी। लेकिन शाम को 4 बजे से सूतक काल लग जाने के कारण इस व्रत को करने में थोड़ी सावधानी रखनी होगी। इसके लिए शाम को 4 बजे के पहले से ही आपको ये इस व्रत की फलाहारी करनी होगी। इस व्रत में खाया जाने वाला मावे के लड्डू के प्रसाद को सूतक काल के पहले ही ग्रहण कर लें।

ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं, वृद्धजनों और बच्चों को ग्रहण के दौरान भोजन करने की छूट रहती है। हालांकि गर्भवती महिलाओं को चाकू या धारदार चीज से काटना या छूना वर्जित होता है।

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