निकाय चुनाव – सब है खास फिर भी टिकट की आस
नीरज ठाकुर
उत्तराखंड
18 दिसंबर 2024
निकाय चुनाव – सब है खास फिर भी टिकट की आस
काशीपुर। निकाय चुनाव की सरगर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं। शासन द्वारा निर्धारित की गई आरक्षण की रूपरेखा पर आपत्तियां की सुनवाई के बाद इन सरगर्मियों में और इजाफा हो जाएगा। इधर, भाजपा व कांग्रेस समेत किसी भी राजनीतिक दल के द्वारा मेयर प्रत्याशी के बाबत पत्ते न खोले जाने से काशीपुर निकाय क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। इन्हीं चर्चाओं में एक चर्चा ये भी है कि काशीपुर मेयर सीट सामान्य कराने का दावा करने वाले भाजपा नेताओं के समर्थक अभी तक मतदाताओं से दूरी क्यों बनाए हुए हैं। इन नेताओं में एक मुख्यमंत्री के बेहद करीबी हैं तो दूसरे वरिष्ठ नेताओं के घनिष्ठ। लेकिन टिकट की बात की जाये तो दोनों अपना-अपना टिकट पक्का बता रहे हैं। लेकिन, भाई टिकट तो किसी एक को मिलना है। इधर हाईकमान किसी तीसरे को भी कहीं चांस न दे डाले, ये सोचकर इन दोनों ही नेताओं और इनके समर्थकों में बेचैनी का माहौल बताया जा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो करीबी और घनिष्ठता धरी रह जाएगी। इसी तरह कांग्रेस पार्टी में लगातार मेयर अथवा विधायक बनने की जुगत भिड़ाते आ रहे एक युवा नेताजी फिर हाथ-पांव मारते हुए जनता के बीच पहुंच रहे हैं। साथ ही पार्टी के बड़े नेताओं की परिक्रमा करने में भी पीछे नहीं हैं। उन्हें डर है कि पार्टी हाईकमान पिछली बार जीत से चंद दूर रहने वाले प्रत्याशी को इस बार फिर से प्रत्याशी घोषित न कर दे। या फिर पूर्व सीएम हरीश रावत अपने बेहद करीबी को यहां से मेयर का टिकट न थमा दें, क्योंकि ये करीबी अपना टिकट पक्का मानकर कांग्रेस की मजबूती के लिए मतदाताओं से लगातार संपर्क साध रहे हैं। बसपा इस मामले में कुछ अलग है। वह फूंक फूंक कर कदम रख रही है। यहां काशीपुर नगरपालिका के अंतिम अध्यक्ष का गौरव प्राप्त नेताजी के साथ ही तीन नाम चर्चा में हैं, लेकिन अंततः टिकट पूर्व में प्रत्याशी घोषित किये गये कार्यकर्ता को ही मिलने की चर्चा बलवती है रही हैं। समाजवादी पार्टी का वैसे तो यहां कोई जनाधार नहीं बताया जाता, लेकिन इस चुनाव में वह भी सक्रिय है। सपा से एक कार्यकर्ता ने स्वयं को प्रत्याशी भी कहना शुरू कर दिया, जिसका पार्टी के नेताओं ने तत्काल खंडन कर दिया। आम आदमी पार्टी यहां अपना वजूद बना पाने में विफल साबित हो रही है। वहीं, एक कद्दावर नेत्री समेत दो दिन व्यक्तियों के निर्दलीय चुनाव लड़ने तथा कुछ के ऐन मौके पर पाला बदल लेने की चर्चाएं भी चल रही हैं। इधर, वार्डों में भी राजनीतिक हलचल तेज हो चली है। कुछ निवर्तमान पार्षद आरक्षण के चलते सीट चेंज होने से परेशान हैं, तो कुछ को टिकट कटने का भय सता रहा है। इधर, पहली बार चुनाव लड़ने वाले लोग चुनाव की अधिसूचना के इंतजार में हैं।